….उसे लग रहा था उससे बड़ा खुश किस्मत कोई नही है रहने के लिए अच्छा घर था और खाने के लिए फ्री सर्विस थी और और वहा की टॉप कम्पनी में एम्प्लॉय था सब कुछ अच्छा चल रहा था तभी उसे अपने गांव की याद आने लगी। वो घुमा और दोस्तो के साथ मस्ती करना और साम को पार्टी करना और फिर उसे ऐसा लगने लगा की वो गांव में ही खुस था तो इससे हमको ये सीखने को मिला की सहर में इतनी सारी फैसेलिटीज जरूर है लेकिन सुकून वही मिलता है जहा मां बाप हो
Bikhri yade
Hey robot वो गांव से आया और सहर में सेटल होने के लिए उसे आने की बहुत खुशी थी लेकिन उसे ये नही पता था। की उसकी ये खुसी ज्यादा दिनों के लिए नही है। उसका एक महीना गुजरा और उसे सहर में बहुत अच्छा लगने लगा था